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स्थान
॥दोहा॥ वीश
राजा सनिली देशना, प्रणमी मुनिना पाय ॥नगवन ढुं अज्ञान मय, के ज्ञानी कहो ताय ॥ ॥५६॥ INIगुरु भांखे राजें तुं, चूनर्ता रहे दूर ॥ प्रायें कोश्क देवता, ने अज्ञाने पूर ॥२॥ मुआं प्रत्ये मरतां
प्रत्ये, जरातंकनृत देह ॥ देखी वासन नपजे, केम होए ज्ञानी तेह ॥ ३ ॥ विषय विषे व्याकुल पणुं, जो ज्ञानीने होय ॥ ज्ञानी अज्ञानीतगो, त्यारे फेर न कोय ॥ ४ ॥ गुरुनां वचन सुणी इस्यां,
लघु संवेग विचार ॥ जयवर्मानामें अनुज, न्यायधर्म धुरधार ॥॥ राजपदें श्रापीकरी, जयंत Salदेव नरराय ।। नत्सवसुं संयम धर्यो, श्री गुरुपासे आय ॥ ५॥
॥ढाल ३ त्रीजी ॥जीहो जाण्यु अवधि प्रयुंजीने ॥ ए देशी ॥ Sel जीहो पंचमहाव्रत नचर्या, जीहो त्रिविध त्रिविध तेणीवार ॥ जीहो संजम सींह तणीपरें, Saजीहो पाले निरतीचार॥१॥महामुनि ते मोटाअगार,जीहो चारित्र पाले नजलोजीहोज्ञानसहित भाविचार ॥ महा॥ जीहो श्रीगुरुनी सेवा करे, जीहो गुरुसु करे विहार ॥जीहो दुस्तप तपने पारणे sal
जीहो नीरस करे आहार ॥ म ॥॥ जीहो हादशांग मुनिवर नण्यो, जीहो सूत्र अरथ मनन्नाव जीहो शिथिल थयो चारित्रविषे, जीहो मोह करम अनुभाव ॥ म ॥ ३ ॥ जीहो मनमश्रयुं मन जेहनु, जीहो शाता गारवमांहि ॥ जीहो खुतो कीच प्रमादमां, जीहो जोग अथिर थयो ताहि ॥मण Elnam जीहो चौद पर्वि आहारता, जीहो मन नाणी जे होय॥जीहो पमे प्रमादतणे वशे, जीदो चन। मांहि जोय ॥ म
जीदो निज्ञ विकथा जीन कह्या, जीहो मदिरा विषयकषाय॥Mu६॥ Balजीहो पमे जीव संसारमां, जीहो ए ए पंचपमाय ॥ म ॥६॥ जीहो इत्यादिक आगमत',
जीहो रहस्य कही गुरुराय, ॥ जीहो राजऋषि प्रतिबोधियो, जीदो तज्यो प्रमाद अन्याय ॥ म
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