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________________ वाडा स्थान ՈԱԱ तेना ग्रहणने विषे सारीरीते को पण समर्थ नथी, एटले निर्मल गुणथ। प्राप्त श्रयेला एवां ते मति आदि चार ज्ञान अने श्रुत ज्ञानने को प्राणी आपवा माटे समर्थ नथी० ॥१॥ तिहां बेनेदार श्रुतज्ञानना, नांख्या बहाबढ ।। बंध दुवालस अंगते, तविपरीत अबद॥ ते ॥ ७॥ सूत्र अर्थ N Balतदुनय करी, तहेना त्रण प्रकार ॥ ते श्रुत शान नपयोगथी, पाये बहु नपगार ॥ ते ॥ ॥ अन्य नपयोग विना सदु, व्य रुपानुष्ठान ॥ सम्यक् श्रुत नपयोगशुं, करे ए विधि विधान ॥ ते ॥ १० ॥ यतः ॥ सम्यक् श्रुतोपयोगेन, व्य क्षेत्रानु सारतः॥ योविधत्ने क्रियाकांम, तांझवाझबरं सुधीः॥ १॥ Salअर्थः-सारीरीते श्रुतना उपयोगवमे इव्य अने केत्रने अनुसार जे बुझ्मिान पुरुष क्रियाकामना तांडवना आडंबरने करे. जयंतदेव ऋषिनी परें, तीर्थंकर श्रीपामी ॥ सहुजनने हितकारिणी, लाने सिह सुठाम ॥ ते ॥ ११ ॥ तथाही ॥ कोसंबी नगरी तिहां, जयंत देव नूपाल । सीमामा al Salजीत्या तिणे, न्यायी जन प्रतिपाल ॥ ते ॥ १५ ॥ धाता सरजे दरिद्रिया, नृप हरे दरिEि विषाद ॥ राय विधाता सर्वदा, मांहो मांहि विषाद ॥ ते॥१३॥ अंतेनरसुं परिवों, वामी बाग Na नद्यान ।। वापीमांहि अनुदिन, मीनध्वज अंगमान॥ ते ॥१४॥ चंदन अगर मिश्रित करी, कस्तुरी घन सार । पत्रसुं जल केलि करी, कहे जिनहर्ष अपार ॥ ते ॥ १५ ॥ ॥ दोहा॥ । अन्य दिवस जलकेलि करी, निज श्वाए राय ॥ हरखे मंदिर आवतां, मारगमां निरमाय ॥ १॥ कनक कमल बेग श्रका, सन्नामांहे नपदेश ॥ विश्ववंदे पग जेहना, दीठा ताम नरेश ॥२॥ केवल झानी नास्कर, जसो देव मुनि नाम ॥ राजा गजथी नतरी, वांदी बेगे ताम ॥ ३॥ करजोमी विनयी नमी, सनमुख प्रापी दृष्टि ॥ गुरुनी वाणी सनिली, श्रवणे अमृत वृष्टि ॥॥ ॥५ ॥ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only wwwkamlnorary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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