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लुवरि चत्त पण नव नाया॥एए मझे नवसय,तेसहा नागसगसयर॥२१॥ IN हिमवंतंता विदिसी, साणाश्गयासु चनसु दाढासु ॥ सग सग अंतर दीवा,
पढमचनकं च जगई॥१शाजोयणतिसएदि त, सयसयवुट्टी य उसु चन केसु॥अन्नुन्न जग अंतरि, अंतरसमविचरा सवे ॥१३॥ पढमचनक्कुच्चबहिं, अट्ठाइ य जोयण य वीसंसो॥सयारं सवुट्ठिपुरर्ज, मऊदिसिं सवि कोसगं ।
१४॥ सच्चे सवेश्यंता, पढमचनकंमि तेसि नामाइं ॥ एगोरुय आनासिय, वेसाणिय चेव लांगूले ॥१५॥ बीयचनक्के हयगय, गो सक्कुलि पुत्वकमनामा णो॥ आयंस मिंढग अर्ज, गोपुवमुदा य तश्यंमि ॥१६॥ दय गय हरि वग्घ । मुहा, चउजए आसकरम हरिकम्मो, अकरम करम प्पावर, ण दीव पंचमचनकंमि । ॥१॥ नक्कमुहो मेहमुहो, विजुमुदो विजुदंत उमि ॥ सत्तमगे दंतंता, घण सह निगूढ सुझाय ॥१॥ एमेव य सिहरिंमि वि, अडवीसं सवि डंति उप्प
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