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बृहत्सं०
॥ २० ॥
सहस्सा ॥ बच्चया तेत्तीसा, तीसकला पंचगुणियम्मि ॥ १२० ॥ सत्तगुणे ब |लका, इगसद्विसदस्स ब सय बासीया ॥ चउपन्न कला तह नव, गुणंमि प्र | डलरक सङ्घाई ॥ १२१ ॥ सत्तसया चत्ताला अठारसकला य इयकमा चन रो ॥ चंडा चवला जया, वेगाय तदा गइ चउरो ॥ १२२ ॥ श्वयगई चन चिं, जयणयरिं नाम केइ मन्नंति ॥ एहिं कमेहिं मिमाहिं, गईदिं चउरो सुरा | कमसो ॥ १२३ ॥ विकं यामं, परिदं अतिरिं च बाहिरियं ॥ जुगवं मि | ति बम्मा, स जाव न तदावि ते पारं ॥ १२४ ॥ पावंति विमाणाणं, केसिंपि | दुदव तिगुणियाईए ॥ कमचनगे पत्तेयं, चंमाईगईन जोइता ॥ १२५॥ जो यण लक परमाणं, निमेस मित्ते जाइ जो देवा ॥ बम्मासे णय गमणं, एगं रजू जिणा बिंति ॥ १२६ ॥ तिगुणेण कप्पचडगे, पंचगुणेणं तु अठसुमुणिता॥ गेविजे सत्तगुणेणं, नवगुणे गुत्तरचक्के ॥ १२७ ॥ पढमपयरम्मि पढमे, कप्पे
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प्रकरण.
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