SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ १३ ॥ बृहत्सं० सोदम्मे ईसाणे, जदन्न विई पलि महियं च ॥ ९ ॥ दोसाहि सत दस चन्द स, सत्तर यराई जा सहस्सारो ॥ तप्पर इक्विकं, यदि जा गुत्तर चटक्के ॥ १० ॥ इगतीस सागराई, सबठे पुण जहन्नवि‍ नचि ॥ परिगदियाणि रा | यि, सोहम्मीसाणदेवीणं ॥ ११ ॥ पलियं यदि चकमा, विई ज | दन्ना इच्य नकोसा ॥ पलिया सत्त पला, स तदय नव पंचवन्ना य ॥ १२ ॥ पण बच्चन चना य, कमेण पत्ते मग्गम दिसी ॥ असुर नागाइ वंतर, जोइस कप्पडुगिंदणं ॥ १३ ॥ डुसुतेरस डुसुबारस, वप्पण च चन डुगे डु गे च ॥ गेवि पुत्तरे दस, बिसठि पयरा नवरि लोए || १४ || सोहम्मुक्को सहिइ, निप्रपयरविदत्त इचसंगुणि ॥ पयरुक्कोस ठि, सङ्घवजहन्न पलि यं ॥ १५ ॥ सुरकप्पविइविसेसो, सगपयरविदत्त इव संगुणि ॥ दिल्लि ठिइस | दिर्ज, इचियपहरम्मि नक्कोसा ॥ १६ ॥ सोमजमाणं स तिजा, ग पलिय वरुणस्स Jain Educationanal For Personal and Private Use Only प्रकरण. ॥ १३ ॥ w.jainelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy