________________ वर्ग 6 // 11 // देश्ने श्रावक पोताना धनने अने जन्मने सफल करे // 22 // इतिश्री रत्नसिंहसूरि न्यायोपात्तं निजं धनम् // साफल्यं कुरुते श्राछो, निजयोर्धनजन्मनोः // 2 // // इति श्रीरत्नसिंदसूरिशिष्यचारित्रसुंदरगणिविरचिते श्रीआचारोपदेशे षष्ठो / वर्गः संपूर्णः // 6 // इति श्रीआचारोपदेशः समाप्तः // // // // शिष्यचारित्रसुंदरगणिविरचिते श्रीश्राचारोपदेशे बालावबोधे षष्ठो वर्गः समाप्तः // 6 // इदं पुस्तकं मोहमय्यां निर्णयसागराख्यमुसालये श्रावक जीमसिंहमाणकेन मुसापितम्. संवत् १एएए. // 11 // Jain Educationa l hai For Personal and Private Use Only BRainelibrary.org