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|| बायरंमिज, सुहमो चन तिन्नि उवसंते ॥ ५ ॥ बन्नव बक्क तिग सत, उगं गं
तिग जुगं तिअह चन ॥ उग उ चन उग पण चन,जग चल चक पणग एग च । Nउपना एगेग मह इगेग, मन उनमब केवल जिणाणं ॥ एगं चन एगं च ।
ज,अह चन बक्क मुदयंसा ॥५॥ चन पणवीसा सोलस, नव चत्तालासयाय बाणन ॥ बत्तीसुत्तर गया, लसया मिबस्स बंध विही ॥६॥ असया चन| सही, बत्तीस सयाई सासणे नेआ ॥ अहावीसाईसु, सवाणादि बनन ॥६॥ग चत्ति गार बत्ती, बसय गतिसिगार नव नन॥ सत्तरिगंसि गुत्ति । स, चनदगार चनसहि मिबदया ॥६॥ बत्तीस उन्नि अध्य, बासी सयाय पंच नव उदया ॥ बारहिआ तेवीसं, बावन्निकारससयाय ॥६३॥ दो बक्क ह च । नकं, पण नव इक्कार छक्कगं जदया॥ नेराश्सु सत्ता,ति पंच इकारस चनकं । ॥६॥ग विगलिंदिअ सगले, पण पंचय अह बंध गणाणपण किकारुद
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