________________
IN|| रित्ताणि ॥ पण ति ज्वीस दस बार, स पंचन्नेएहि सगवामा ॥२५॥श्य्या
नासे सणा दाणे, उच्चारे सुमई सुअ॥मणगुत्ति वयगुत्ति, कायगुत्ति तदेव य Malus६॥ खुदा पिवासा सी जगहें, दंसा चेला र बि॥ चरिआ निसिआ सि
झा, अक्कोस वद जायणा ॥२॥अलान रोग तण फासा, मल सकार प।
रीसदा ॥ पन्नाअम्माण सम्मत्तं, इत्र बावीसं परीसदा ॥२॥खंती मद्दव अM लाजव, मुत्ती तव संजमे अबोध ॥ सच्चं सोनं आकिं, चणं च बंनं च जश्वना
म्मो॥श्॥ पढम मणिच्च मसरणं, संसारो एगया य अमत्तं ॥ असुश्त्तं आ सव सं, वरो अ तह निजरा नवमी ॥३०॥ लोगसदावो बोदी, उलहा धम्म । स्स सादगा अरिदा ॥ एन नावणा, नावे अवा पयत्तेणं ॥३२॥ सामा) अब पढम, वझावणं नवेबीअं ॥परिदारविसुहीयं, सुहमं तद संपरायं च । ॥३॥ तत्तोष अदरकायं, खायं सबम्मि जीवलोगम्मि ॥ जं चरिऊण सुवि
Jain Educational
For Personal and Private Use Only
Mainelibrary.org