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________________ कर्मधार अ६ खित्तं, पलिय तिदा समय वाससय समए । केसव हारो दीवो, द ग्रंथ ५ दि आज तसाय परिमाणं ॥५॥ दवे खित्ते काले, नावे चनद उद बायरो सु । ॥१॥ हुमो॥ होइ अणंतुस्सप्पिणि, परिमाणो पुग्गल परहो ॥ ७६ ॥ उरलाइ सत्त । गणं, एग जि मुअ फुसिअ सव्व अणु॥ जित्तिकालिसथूलो, दवे सुहमो । सगन्नयरा ॥७॥ लोग पएसो सप्पिणि, समयाअणुनाग बंध गणा य॥ जह तह कम मरणेणं, पुछा खित्ताइं थूलियरा ॥ ॥ अप्पयर पयडिबंधी, न कड जोगी अ सन्नि पजत्तो॥ कुण पए सुक्कोसं, जदन्नयं तस्स वच्चासेना , मिब अजय चन आज, बि ति गुण विणुमोदि सत्त मिबा॥ बसहं सतरस सु। हुमो, अजया देसा बि ति कसाए ॥॥ पण अनिअट्टि सुखगई, नरान सुर सुलग तिग विवि उगं॥ सम चनरंस मसायं, वरं मिलो व सम्मोवा ॥malns१॥ निदा पयला छ जुअल, जय कुबा तिब संमगो सुजई॥आहार उगं सेसा, Jain Educational For Personal and Private Use Only
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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