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सुहुमे दस वेअ संजलण ति विणा ॥ खीणु वसंति अलोना, सजोगि पुवुत्त सग जोगा॥६॥ अपमत्तंता सत्त, म्मीस अपुत्व बायरा सत्त ॥बंध बस्सुम का दमो ए, ग मुवरिमाबंधगा जोगी॥ ६॥ आसुहुमं संतुदए, अहवि मोद वि। वाणु सत्त खीणंति ॥ चन चरिम उगे अहन, संते नवसंति संतुदए॥३॥
ति पमत्ता, सगह मीसह वेअ आज विणा ॥बग अपमत्ताइ त, उ पंच सु। । हुमो पणु वसंतो॥६॥ पण दो खीण उ जोगी, णुदीरगु अजोगि थोव जव ।
संता॥संख गुण खीण सुहमा, निअट्टि अपुत्व सम अदिशा॥६या जोगि अ पमत्त श्यरे,संख गुणादेस सासणा मीसा ॥ अविर अजोगि मिना,असंख चरोज्वेणंता॥६६॥ जवसम खय मीसोदय, परिणामा 3 नव गरगवीसा
तिअनेअसन्नि वाश्य, सम्मं चरणं पढम नावे ॥६॥ बीए केवल जुअलं, al सम्मं दाणा लक्षिपण चरणं ॥ तइए सेसुव उंगा, पण लही सम्म विरइ छ
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