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| राज कम्मे, वि एवमादारङगि उदो ॥ १६ ॥ सुरदो वेवे, तिरिच्य नरान र हि तम्मिस्से | वे तिगा इम बिच तिच्य, कसाय नव डु चन पंच गुणा ॥ १७ ॥ संजलण तिगे नव दस, लोने चन अजइ 5 ति नाण तिगे ॥ बार स चकु चकुसु, पढमा अदखाइ चरिम चक्र ॥१८॥ मणनाणी सग जया इ, समइ बेच् चन पुन्नि परिहारो || केवल डुगि दो चरिमा, अजयाइ नवमइ सु उहि डुगे ॥ १२ ॥ प्रड जवस मि च वेगि, खइए इक्कार मित्र तिगि देसे ॥ सुदुमि साणं तेरस, आहारग नि नि गुणोहो ॥ २० ॥ परमुवसमि वहं ता, प्रान न बंधंति ते अजयगुणे ॥ देवमणुआन दीणो, देसाइसु पुण सुरा | विणा ||२२|| हे प्रहारसयं, आहार डुगूणमाइ बेसतिगे ॥ तं तिचोणं मि बे, साणासु सबहिं हो ॥२२॥ तेऊ निरय नवूणा, नको चन निरय बार विष्णु सुक्का | विष्णु निरय बार पम्हा, जिणाहारा इमा मिचे ॥ २३ ॥ सब गुण
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