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सिदो पट्टो की लिखावऊं ॥ उज्जन मक्कडबंधो, नारायं इममुरालंगे ॥ ३णा सम चनरंसं निग्गो, दा साइ खुजाइ वामणं हुं ॥ संठाणा वम किएह, नी ल लोदिय दलिद्द सिया ॥४०॥ सुरदी डुरदी रस पण, तित्त कडु कसाय अं |बिला मदुरा ॥ फासा गुरु लहु मिन खर, सी एह सिणि-६ रुकट्ठा ॥ ४१ ॥ नील कसिणं डुगंधं, तित्तं कडुग्रं गुरुं खरं रुकं ॥ सीयं च सुद नवगं, इक्का | रसगं सुनं सेसं ॥४२॥ चउद्गइवणुपुवी, गइ पुत्रि डुगं तिगं नियाजु ॥ पुर्वी उदर्ज वक्के, सुद प्रमुद वसु दृ विदग गई ॥ ४३ ॥ परघा उदया पाणी, | परेसि बलिपि दोइ रिसो ॥ ऊस सि लधिजुत्तो, हवेइ ऊसासनामवसा | ॥ ४४ ॥ र विबिंबेन जिच्प्रंगं, तावजुद्धं यवान नजलणे ॥ जमु सिण फास |स्स तदिं, जो दिच्प्रवमस्स उदत्ति ॥ ४२॥ अणु सिण पयासरूवं, जिच्यंगमुजो एइ हुको या ॥ जइ देवुत्तर विक्किम, जोइस खजो माइव ॥४६॥अंगं न
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