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कर्म सा न रागदोसो, जिणधम्मे अंतमुहु जहा अन्ने ॥ नालिअर दीवमणुणो,
मिग्रंथ जिणधम्म विवरीअं ॥१६॥ सोलस कसाय नव नो, कसाय उविहं चरित्त ॥५ ॥
मोहणियं ॥ अण अप्पच्चरकाणा, पच्चरकाणाय संजलणा ॥१॥ जा जीव वरि। INस चनमा, स परकग्गा निरय तिरिय नर अमरा ॥ सम्माणु सवविरई, अ ||
दखाय चरित्त घायकरा ॥२॥जल रेणु पुढवि पन्वय, राईसरिसो चनविदो को , दो॥ तिणि सिलया कहन्धि, सेलबंनो वमोमाणो ॥१॥ माया वलेदि गो मु,त्तिमिंढसिंग घणवंसमूलसमा ॥ लोहो दलिद्द खंजण, कद्दम किमिराग सा माणो॥॥ जस्सुदया दो जिए, दास र अरइ सोग नय कुबा ॥ सनिमि। नात्त मन्नदा वा, तं इह हासाइ मोदणिअं॥॥ पुरिसिबि तनयं पश्, अदि लासो जव सा दवइ सोन ॥ थी नर नपुं वेदङ, फुफुम तण नगरदाहसमो
॥५ ॥३॥ सुर नर तिरि निरया, दडिसरिसं नामकम्म चित्तिसमं ॥ बायाल ति
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