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________________ प्रकरण. कर्म Man श्रीजिनायनमः ॥ अथ श्रीदेवेंसरिकृतकर्मग्रंथमूलगायाप्रारंनः ॥ आ पर्याटत्तम् ॥ सिरिवीरजिणं वंदित्र, कम्मविवागं समासवुद्धं ॥ कीर जिएण ॥५१॥ जा देनहिं, जेणंतो नम्मए कम्मं ॥२॥पयशविरस पएसा, तं चनदा मोअगस्सा दिलंता ॥ मूलपग उत्तर, पगई अडवन्न सयनेअं॥२॥श्व नाण दंसणा वर,ण वेअ मोहान नाम गोआणी॥ विग्धं च पण नव अ, वीस चन ति सय पण विहं॥३॥ म सुत्र उही मणके, वलाणि नाणाणि तब मश्ना Kण॥ वंजणवग्गद चनहा, मण नयण विणिंदिअ चनका ॥४॥ अजुग्गद ईहा , वा,यधारणा करण माणसेहिं बहा ॥श्अ अध्वीस नेअं,चनदसदा वीसहा च ॥ सुअं॥॥ अस्कर सन्नी सम्मं, साईयं खलु सुपजवसिअंच ॥गमिअं अंगप । विहं, सत्तवि एए सपमिवरका ॥६॥ पऊय अस्कर पय सं, घाया पडिवत्ति तद ॥१॥ य अणुउंगो॥ पाहुडपाहम पाहुड, वजू पुत्वाय ससमासा ॥ ७॥ अणुगामि । Jain Educational For Personal and Private Use Only Lallanelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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