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नव, ससिरविदीवा इहंपि नायवा ॥ नवरं समंत ते, कोसगुच्चा जल
स्सुवरि ॥२४॥ पुकरदलबहिजगइ, व संठिठ माणुसुत्तरो सेलो ॥ वेखंधरगि INरिमाणो, सींद निसाई निसढवस्मो ॥३४३॥ जद खित्तनगाईणं, संगणो धाय । लिए तदेव दं॥उगुणो य नहसालो, मेरुसुयारा तहा चेव ॥१४४॥श्द बादि।
रगयदंता, चनरो दीदत्ति वीस सय सहसा ॥ तेयालीससहस्सा, गुणवीसहि या सया उन्नि ॥४५॥ अग्निंतर गयदंता, सोलसलका य सहसव्वीसा ॥ सोलहिय सयं चेगं, दीदत्ते हुँति चनरोवि ॥४६॥सेसा पमाण जह, जंबूदी । वान धाइए नणिया ॥ गुणा समा य ते तद, धायश्संडान श्द नेया॥१४॥ अडसीलका चउदस, सहसा तह नवसया य गवीसा ॥ अग्निंतर धुवरासी, पुवत्त विही गणियवो ॥३४नागकोडि तेरलका, सहसा चनचत्त सगसय तियाला ॥ पुरकरवरदीवडे,धुवरासी एस ममि ॥४॥ एगा कोमी अमती,.a
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