________________
२वना.
प्रस्ता कर पद पाम्या; बाहु मुनिये पांचशे मुनियोने आहार पाणी लावी प्रापवाश्री आगल्या ज.
न्ममां चरतचक्रवर्ति थवानुं पुण्य नपार्जन करयं; श्रेयांसकुमरे षन्नदेव नगवानने इकु रसश्री प्रतिलान्या, तो संसारनो अंत करी तेज नवमां मुक्तिने मेलवी; चंदनवालाये अम | दना बाकुला महावीर प्रन्नुने वहोराव्या, तो तेज वखत उर्दशानो अंत अयो, दीव्यरूप थंयुं । अने पंचदीव्य प्रगट थया; शांतिनाथ प्रनुए पूर्वनवे (मेघरथ राजाना नवमां) पारेवाने अन्नयदान दीधुं, जेश्री तीर्थकर अने चक्रवर्निपणानुं पुण्य प्रगट थयुं; मेघकुमारे हाथीना नवमां ससलाने अन्नयदान दीधुं, तो महाशक्ष्मिान श्रेणिकराजाने घेर नत्पन्न अयो; शं-13 खराजा अने यशोमति राणी मुनिने ज्ञदनुं पाणी वहोराववाथी नेमिनाथ अने राजीमती
यां; मुनिने रत्नकंबल आपवान) रत्नवाई शेगणी मरुदेवीमाता अयां; सुदत्त मुनिने दान है। | देवाथी सुबाहुकुमर अत्यंत रूपवान श्रया; वीर प्रनुने बीजोरापाक देवाश्री रेवती श्रावि || | काए तीर्थकरगोत्र बांध्यु; तेमज मासखमणने पारणे मुनिने खीरनुं दान देवाश्री धनकुमर 13 अने शालिन्नकुमर आ नवमां अगणित शहिना नोगी थर वैराग्य पामी दीक्षा लेइ बन्ने / | जण सर्वार्थसिइ विमानमां गया. त्यांथी व्यवी महाविदेहकेत्रे को महोटा शेठने घेर जन्म पामशे, त्यांपण सजुरु समीपे दीक्षा ग्रहण करी कर्म खपावी सिपिदने वरशे.
Jan Education S
tional
For Personal and Private Use Only
nelibrary.org