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________________ धन्नाण २७ प्रेतवने जव ते गया, तव तेहनो रखवाल ॥ कलह करी पर्यंकने, लेई चाल्यो चमाल ॥१॥ ॥ ढाल १५ मी ॥ ( गोरमी गुणवंती. - ए देशी . ) पक ते लेने रे सुरीजन, चौटा विचे चंगाल ॥ पूरव पुण्य फलियो || वेचणने बेगे तिहां रे सुरीजन, जोवे बाल गोपाल ॥ पूरव पुण्य फलियो ॥ १ ॥ ए कली ॥ साटवे पिरा लेवे नहि रे सु०, मृतकतलो तेह जाण || पू० || दीगे धन्ने दूरथी रे सु०, सुंदर खाट सूवाण | पू० ॥ २ ॥ स्वर साधीने मूलव्यो रे सु०, लीधो देई १दाम ॥ ५० ॥ न पावी घेर आलीयो रेसु०, पर्यंक धन्ने जाम ॥ पू० ॥ ३ ॥ अग्रज तव त्रिएये तिहां रे सु०, इसवा लाग्या तास ॥ पू० ॥ मृतक खाटथी पामशे रे सु०, दाम प्रमुख सुविलास ॥ ५० ॥ ४ ॥ खाट ग्रही गृहमें यदा रे सु०, बकावे धनसार ॥ ५० ॥ ततक्षण ईसने ऊपलां रे सु०, जूजू यां सुप्रकार || पू० ॥ ५ ॥ रतन अमूलिक नीसख्यां रे सु०, खाटयकी तिथिवार ॥ ५० ॥ बाठ कोमी दिनारनां रे सुप, हरख्यो तव धनसार ॥ पू० || ६ || सुतने कड़े सुयो एहना रे सुप, जाग्यतणो बल नूर ॥ ५० ॥ पग पग पामे संपदा रे सु०, पुण्यतरो - कूर ॥ ५० ॥ ७॥ यतः ॥ अनुष्टुत्तम् ॥ पदे पदे निधानानि, योजने रसकुंपिका ॥ जाग्य १ सात मासा सुवर्ण श्रापी.. Jain Educatiernational For Personal and Private Use Only न० १ १७ jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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