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________________ * * तुम तणे रे, तो फिरी करो व्यवसाय ॥ एकेको दिन आजथी रे, नोजन नगति कराय ॥ 18/ पुस०॥५॥श्म कही मासा सुवर्णना रे, चारेने स्वयमेव ।। चोश चोश आपीया 31 रे, व्यापारार्थे हेव ॥पुणासण॥६॥ मुख्य तनुज त्रिएये तदा रे, पदोत्या पण्यागार ॥ किरिडू याणां लीधा घणां रे, जाणीलान अपार ॥ पु०॥ स०॥७॥ कर्मवशे ते वस्तुमा रे, लाननो है। न रह्यो लाग ॥ अर्धा दाम जूड्यो तदा रे, अति उद्यमश्री अन्नाग ॥पु०॥स०॥७॥ भोजन विधि नूली गया रे, त्रिएये दिवसे तेह ॥ शाम वदनश्री ते तदा रे, बेग श्रावी गेह ॥ पु॥ 18 स०॥॥ अथ चोथे दिन साहसी रे, धन्नकुमार नदार ॥ शकनादिक अवलोकन रे, निश्च-18 य करे तिणिवार ॥ पु०॥ स०॥१०॥ लान्न होशे पशुथी नलो रे, धारी श्म मन धीर ॥ नगरमां कौतुक जोवतो रे, पहोत्यो चोहटे सधीर ॥पुणाता११॥ पशु क्रय थाय ने जीP हां रे, तिहां श्राव्यो निरनीक ॥ बेगे सस्थानक ग्रही रे, चावंतो मुख पीक ॥ पु०॥स०॥ १॥ तेहवे एक आध्यो तिहां रे, श्हूम वेचण नर कोय ॥ लक्षण पूर्ण देखी करी रे, रेली धो धन्ने सोय ।।पु०॥स०॥१३॥ एहवे नृप जितशत्रुनो रे, अरिदमनानिध जात ॥ ध्मेष जणी क्रीमाववा रे, आव्यो ते सुविख्यात ॥ पु०॥स०॥१५॥ देखी पनरत्र धना तणो रे, | १ करियाणावालानी उकाने. २ बोकमो. ३ पांच मासा सुवर्ण आपी घेटो लीधो. बोकमो. ५ बोकमो. २-16 १ Jain Education national For Personal and Private Use Only I ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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