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________________ धन्ना० ६ | सतीयना शीयल प्रभावथी सहुने सुख थयो मा० ॥ १७ ॥ माग माग वर मुज मूक्या वि. ए तूं हवे मा०, तव ते अजयकुमार विचार ते संभवे मा० ॥ त्रीजी ढाल रसाल ए चोथा उल्हासनी मा०, कही जिनविजये जोय कल्पद्रुम रासनी मा० ॥ १८ ॥ ॥ दोहा ॥ कहे अजय बुद्धि केलवी, मेलवी चित्त विचाल ॥ चारे वरनुं सार ए, कहुं ते सुखो भूपाल ॥ १ ॥ चय खमकावो चोकमें, अग्निनीरू रथ नांजि ॥ अनल गजें हुं चढूं, शिवा नांगे आज ॥ २ ॥ तं बेसे वांसे थइ, अम नपर धरि बत्र ॥ चयमें जश्ने लीजीए, अग्निदाघ एकत्र ॥ ३ ॥ नूधव शिर धूली रह्यो, वयण न वाल्यो जाय ॥ करजो मी कुमर प्रते, हास्यो हूं कहे राय ॥ ४ ॥ तव बोल्यो धीरज घरी, अजय कहे सुण नूप ॥ धर्म गाई तें करी, पकड्यो मुज धरी चंप ॥ ५ ॥ जिनशासन मेलो कस्यो, लोपीने कुल लाज || आज पी दवे एहवो, करवो नही अकाज ॥ ६ ॥ (पण मुज देख पढंतरी, त्रस व्यो बे इक वार ॥ पिएा वली जोजे पारखुं, पकडूं वीजी वार ॥ ७ ॥ बांधी मुसके तुज प्रतें, देतो दंग प्रहार ॥ लेई जाऊं सहु देखतां, तो हुं अजयकुमार ॥ ८ ॥ शीख करो मासी प्रते, नृपशुं करी जुहार ॥ शुभ वेला साधी करी, चाल्यो निज श्रागार ॥ ए ॥ ॥ ढाल ४ थी ॥ (बेको नांजी. - ए देशी . ) Jain Education national For Personal and Private Use Only og ६ jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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