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________________ ०३ धन्ना० मा, धनाना गुण हो मनमें ध्यावे मा० ॥२॥ गुणना रागी हो सहु का जगमें मा०, रूमा गुणिने हो ग्रहिये वगमें मा०॥त्रीजे नल्हासे हो ढाल रसीली मा०, ए नगणीशमी हो जिनने रंगीली मा० ॥२३॥ ॥दोहा. ॥ चारे बांधव चिंतवे, एहनो गुण असमान ॥ करण थए किणि विधे, एह नाग्य निधान ॥१॥ लक्ष्मी सम लक्ष्मी अने, बहिन आपणे एक ॥ दीजे एहने है दिल धरी, ए आपणो विवेक ॥२॥ चिंतीने धनशाहने, शुन्न वेला शुन्न योग ॥ परणावे | नगिनी प्रते, जाणी सदृश संयोग ॥ ३॥ तेहशुं विविध संसार सुख, नोगवे धरि बहु प्रेम 18 ॥ पाचथी लीनो रहे, पंच सुमति मुनि जेम ॥४॥ ॥ ढाल २० मी.॥ (प्रणमुं गिरजानंदना.-ए देशी.) एहवे ते लक्ष्मीपुरे, कृषिक तणो ने शेठ ॥धनपालानिध नामथी, धननी करे नित वे ॥१॥ खावे न पीवे नवि देवे, लेवणनी करे वात ॥ सुबमांही शिरदार ते, अहनिशि 15/ करे पर तात ॥२॥ एहवे एक को याचक, याचवा आव्यो तास॥ मीठे वचने बोलावि ने, बेसास्यो लेश पास ॥३॥ कहे याचक सुणो शेठजी, कीजे न दान विलंब ॥ आयुतणी गति अथिर , तेह नणी अविलंव ॥४॥तव बोल्यो याचक प्रते, देशुं प्रनाते दान ॥जो LASSSS Jain Educator national For Personal and Private Use Only I lainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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