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________________ आप ॥ अणसण आराधन करी, गंमे पापनो व्याप ॥ ६॥ नवपद ध्यान संचारते, पहो-12 18त्यो ते परलोक ॥ प्रेतकार्य करी अनुक्रमे, पुत्रे गंड्यो शोक ॥ ७ ॥ । ॥ ढाल १५ मी ॥ (केसर वरणो हो, काढ कसुंबो महारा लाल.-ए देशी.) तेहवे नाता हो सुगुण विख्याता मारा लाल, नत्तम दाता दो कुलना त्राता मारा *लाल ॥ अनुक्रमे तेहने हो संतति थावे मा०, बहुलपणाथी हो कलह जगावे मा० ॥१॥ तव ते चिंत हो तातनी वाणी मा, कलहथी खिया हो श्रावे प्राणी मा ।। ते नणी नो-3 जन हो जूजू कीजे मा०, निज नामांकित हो कलश ग्रहोजे मा०॥॥ चित्त में चिंते होते समकाले मा०, नूमिश्री काढ़ी हो कुन निहाले मा०॥ प्रथम कलशमें दो लेखण खमियो मा०, वलि वलि मोटो हो कागल दमियो मा० ॥ ३॥ बीजे कलशे हो दृषदने माटी मा०, ते पिण देखी हो रह्या नेराटी मा॥त्रीजे कलशे हो हाम ते दीसे मा०, अ श्वादिकनां हो देखी खीसे मा० ॥४॥ लघु बंधवने हो कलश सोहावे मा०, आठ सोनानी ४ हो कोमी कमावे मा॥ते तो राजी हो यो निज मनमें मा०, ताते दीगे हो गुण मुज तनमें मा०॥५॥ ताम ते त्रिएये हो धनने देखी मा०, बोले बमबम दो लाज नवेखी मा० ॥ कलश धरतां हो तात वरांसो मा०, कुटिलपणाथी हो कीधो हासो मा०॥६॥ए धन SARSHARE २२ Jain Education national For Personal and Private Use Only Olainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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