________________
धना दिदार ॥०॥६॥धनो कहे परस्त्रीने फरसुं नही, तो किम धोवरावीजे पाय ॥अ०॥ न०३
अमे तो श्रावक व्रतधारी सदा, शीयल पालुं मन वच काय ॥०॥७॥ तव तेह सचीवे 31 18 ह कीधो घणो, शुं तुमे गुप्त करो निज जाति ॥०॥ जाण्यो में कुल वंशादिक तुम त है।
यो, ए तुम नोजाई सादात ॥१०॥ ॥ तव हसी कहे धन्नो नानी तुमे, खमज्यो स-है। वि अमचो अपराध ॥ अ॥ हुं तुम देवर तुम परसादयी, सुख ए पामु निराबाध ॥१० ॥ए॥ स्नान श्रुशुषा करवा कारणे, मूक्यां माताजी पासे ताम || अ०॥ हली मली कुटुंब सविनेलो थयो, सहुकोने उपन्यो तव आराम ॥ ॥१०॥ वात जणावी सचीवे
नृपन्नणी, ए सवि धनानो परिवार ॥०॥ एहथी अणघटती वात न को हुवे, एहनो तो है उत्तम आचार ॥ अ०॥११॥ राजा मन राजी थयो ते सांतली, धनो पिण आवे तेणी
वार ॥ अ॥ अर्ध सिंहासन बेसण आपियो, गोने कीघो राय जुहार ॥१०॥१॥ पूरी * सुखप्रश्न करे इक वीनती, कहो तुम मात पितादिक सर्व ॥ ॥ दलवे हलवे करिने मंदिर मेलीया, नोजाश्शुं एवमो शो तुम गर्व ॥ अ॥ १३ ॥ तव बोले धनपति नृप तुमे
सांनलो, एहने हुतो कांक मन अहंकार ॥१०॥ स्त्रीथी अकार्य सदा बहु नीपजे, कलह लिनो मंदिर ए निरधार ॥१०॥ १५ ॥ यतः॥ अनुष्टुब्वृत्तम्. ॥ सुवंशे योप्यकृत्यानि, कुरुते ।
Jan Education Aktional
For Personal and Private Use Only
N
w.jainelibrary.org