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________________ ジャン X धन्ना० - जमाई॥ करिय संग्राम आराम को नवि लहे, एक घरमें किसी ए कमाई॥ स०॥१६॥ वारिये तो नटुं पाय मुख कजलु, लाज रहे नृपतणी अति विलासे ॥ ढाल ए चौदमी जा दति कमसे कही, विबुध जिनविजय त्रीजे नल्हासे ॥ स ॥१७॥ ॥दोहा. ॥ इम चिंतीने सचिव सवि, प्राध्या नृपने पास ॥ कर जोमी पागल रही, एम करे अरदास ॥१॥स्वामीजी शो कोप ए, जामाताथी जोर ।। करवो घटशे किणिपरे, निज मन आयो गेर ॥२॥ हास्याथी अपजश हुवे, जीत्या पण जंजाल ॥ स्वन्वय जुन चित्तमें, ए सवि तुमचा बाल ॥३॥ ए बालक थई बूटशे, पिणं तुमे वमा नरिंद ॥ वावी दाथे वृक्षने, कुण दे' मतिमंद ॥ ४॥ए धन्ने निज बुझ्यिी, राखा हुशे निस्संक ॥ ते अमे जश्ने पूड़िये, ते माणसनो वंक ॥५॥श्म कही नृप समजाविने, तमावी ते नारी कहो बाई तुम कुल प्रमुख, मूल थकी अधिकार ॥६॥ तव ते लढाथी करी, साश्रुपात । वच ताम॥ स्वामीजी अमचो हतो, प्रतिष्ठानपुर गाम॥७॥ व्यवहारी धनसार वर, शी। लवंती घर नार ।। पुत्र चार तस शोन्नता, धनदत्तादि नदार ॥ ॥ इत्यादिक सघली क. था, निरविशेष कही जाम ॥ निसुणी मंत्री चमकीया, ए धन्नो अन्निराम ॥ ए॥ मात तातने नलखी, यतन कराव्यां खास ॥ वस्त्रान्तरण गोरस प्रमुख, दीधां मन नल्हास ॥ 155558 59 セシー ७७ Jain Education rational For Personal and Private Use Only wainelibraty.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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