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तेजथी, अंबरे तरणि ते सन्नय थावे ॥स० ॥७॥ चिंतवे शेठ ए युद्ध करते अके, रखे। 15 इहां माहरो मान गाले ॥ सैन्य दल प्रबल ने ए सतानिक तणो, ताम सुरमणि प्रते ते नि-18
हाले ॥ स॥ ए॥ निरखतां वेंत सैन्या वधी शेग्नी, जाणीए जलधिनो पूर आयो ॥ सै-5
न्य राजातणो सयल नासी गयो, यश थयो शेग्नो अति सवायो । स०॥१०॥ नृपतणा - सुन्नटने नासता देखिने, कामिनी तव कहे का लजावो ॥ शूर तजी तूर हथियारने नांखि
ने, वणिक आगे तुमे कैम आवो ॥ स॥ ११॥ मरणना नेय की नागिया का मुधा, मातने तात जाया लजावी ॥ पंचमे बेसि किम मूड वल घालशो, एहवी कुबुद्धि तुज केम | प्रावी ॥ स० ॥१२॥ निसुणी नृप कोपियो सैन्य मुज लोपियो, नपियो दाव ए आप केरो । ॥ युद्ध कीधा विना माम खोई मुधा, ए सेन्यानी मुज अति अंधेरो ॥ स० ॥१३॥ म कही नृप चड्यो कवच तनुश्री जड्यो, शिर धस्यो मुगट अति तेज करतो॥ ग्रही करवाल विकराल निज नुजबले, पुनरपि सैन्यथी धैर्य धरतो ॥ स॥ १५ ॥ प्रावियो जाम निज धामपर 3 नरपति, ताम धनशेठ पिण शूर थावे॥आगमि मरण एक शरण अरिहंतनो, झवा काज तिहां शेठ जावे ॥ स०॥१५॥.चिंतवे ताम नृप सचिव सवि सामटा, एका एह सुसरो
१ सूर्य.
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