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कप०
बारसो.
मस्स वाससहसस्स नव वाससया विश्वंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवबरे काले गव॥ १७४ ॥२२॥
॥४४॥
| 'नमिस्स' णं अरहर्ड कालगयस्स जाव सवउकप्पदीणस्स पंच वाससयसहस्साई, * चनरासीइं च वाससहस्साइं नव य वाससया विश्कताइं, दसमस्स य वाससयस्स
अयं असीइमे संवबरे काले गड ॥१५॥२१॥ । 'मुणिसुवयस्स' णं अरदर्ज कालगयस्स इक्कार वाससयसहस्साइं चनरासीइंच वाससहस्साई नव वाससया विश्कंता, दसमस्स यवाससयस्स अयं असीश्मे संवबरे काले गब॥१६॥२०॥ 'मल्लिस्स' णं अरह जाव सबस्कप्पहीणस्स पन्नहिं वाससयसहस्साइं चनरासीई
॥४४॥
Jain Ede
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