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________________ * कल्प बारसो. ॥३ ॥ ** ************* । तेणं कालेणं तेणं समएणं 'पासे' अरदा पुरिसादाणीए पंचविसाहे दुबा, तंजहाविसादाहिं चुए चश्त्ता गग्नं वकंते, विसाहादि जाए, विसादाहिं मुझे नवित्ता अगाराज अणगारिश्र पवश्ए, विसादाहिं अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुस्मे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, विसादाहिं परिनिबुए ॥ २४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरदा पुरिसादाणीए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पके चित्तबहले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चनबीपके णं पाणया कप्पा वीसं सागरोवमहिश्या अणंतर चयं चश्त्ता इदेव जंबुद्दीवे दीवे नारदेवासे वाणारसीए नयरीए आससेणस्स रमो वामाए देवीए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि विसादादि नकत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्कंतीए (ग्रं0 500 ) नववकंतीए सरीरवक्कंतीए कुर्बिसि गन्नत्ताए वक्ते ॥ २५० ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए निन्नाणोवगए आवि दुबा, तंजहा-चश् *RSEXXXXXXXXX*** * **** Jain Educatan international For Private & Personal use only viww.jainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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