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________________ कल्प० ॥ २७ ॥ Jain Education **** अणेगतालायराणुचरिचं अणुप्रमुइंगं, (ग्रं० ५०० ) मिलायमल्लदामं पमुइ| पक्की लिय-सपुर जे जाणवयं दसदिवसं विईवडियं करे ॥ १०१ ॥ तएां से सि राया दसाहियाए विश्वडियार वट्टमाणीए सइए य सादस्सिए य सयसादस्सिए य | जाए य दाए जाए दलमाणे दवावेमाणे अ, सइए अ सादस्सिए अ सपसादस्सिए य लंने पचमाणे य पडिवावेमाणे य एवं विदरइ ॥ १०२ ॥ तरणं समणस्स जगव महावीरस्स अम्मा पियरो पढमे दिवसे विश्वडियं करेंति, तइए दिवसे चंदसूरदंसयिं करिंति, बठे दिवसे धम्मजागरियं करेंति, इक्कारसमे दिवसे विक्कते निव|तिए सुइजम्मकम्मकरणे, संपत्ते बारसादे दिवसे, विजलं असण- पाण- खाइम - साइमं नवरकड विंति नवरकडा वित्ता मित्त-नाइ - नियय-सयण - संबंधि- परिजणं नायए खत्तिए १ जणाभिरामं (क० कि० ) २ जागरिंति ( क० कि० सु० ) ************ For Private & Personal Use Only बारसो. ॥ २७ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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