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कल्प०
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अदवा पंच जोअणस्स चत्तारि पाणगस्सातच ां एगा दत्ती लोंणासायण मित्तमवि पडिगादिच्या सिया, कप्पइ से तद्दिवसं तेणेव नत्तणं नत्तणं पोस वित्तए, नो से कप्पइ उच्चपि गादावइकुलं प्रत्ताए वा पाणाए वा निरक मित्तर वा पविसित्तए वा ॥ २६ ॥ वासावासं |पको सवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथी वा जाव नवस्स्यार्ज सत्तघरंतरं संखडिं संनिंयट्टचारिस्स इत्तए, एगे एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव नवस्सया परेणं सत्तघरंतरं संखमिं संनियट्टचा रिस्स इत्तए, एगे पुण एवमादंसु-नो कप्पइ जाव जवस्सया परंपरें | संखमिं संन्नियट्टचारिस्च इत्तर ॥ २७ ॥ वासावासं पोस वियस्स नो कप्पइ पाणिपमिग्गदियस्स निरकुस्स कणगफुसिय मित्तमवि बुठिकायंसि निवयमाणंसि जाव गादावइकुलं न| त्ताए वा पाणाए वा निरक मित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २८॥वासासासं पोस वियरस पाणिप| डिग्गदियस्स निरकुस्स नो कप्पइ गिसि पिंमवायं पडिगादित्ता पोस वित्तए, पोसवेमाणस्स सहसा बुटिकाए निवइका देस मुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिदित्ता
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बारसो.
॥ ६२॥
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