SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प० 112 11 अदवा पंच जोअणस्स चत्तारि पाणगस्सातच ां एगा दत्ती लोंणासायण मित्तमवि पडिगादिच्या सिया, कप्पइ से तद्दिवसं तेणेव नत्तणं नत्तणं पोस वित्तए, नो से कप्पइ उच्चपि गादावइकुलं प्रत्ताए वा पाणाए वा निरक मित्तर वा पविसित्तए वा ॥ २६ ॥ वासावासं |पको सवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथी वा जाव नवस्स्यार्ज सत्तघरंतरं संखडिं संनिंयट्टचारिस्स इत्तए, एगे एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव नवस्सया परेणं सत्तघरंतरं संखमिं संनियट्टचा रिस्स इत्तए, एगे पुण एवमादंसु-नो कप्पइ जाव जवस्सया परंपरें | संखमिं संन्नियट्टचारिस्च इत्तर ॥ २७ ॥ वासावासं पोस वियस्स नो कप्पइ पाणिपमिग्गदियस्स निरकुस्स कणगफुसिय मित्तमवि बुठिकायंसि निवयमाणंसि जाव गादावइकुलं न| त्ताए वा पाणाए वा निरक मित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २८॥वासासासं पोस वियरस पाणिप| डिग्गदियस्स निरकुस्स नो कप्पइ गिसि पिंमवायं पडिगादित्ता पोस वित्तए, पोसवेमाणस्स सहसा बुटिकाए निवइका देस मुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिदित्ता Jain Education intimational For Private & Personal Use Only बारसो. ॥ ६२॥ Ww.jainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy