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________________ ********************* इंदपुरगं (४) च । एयाई वेसवामिय-गणस्स चत्तारि उ कुटाई" ॥१॥ थेरेदितो णं ।। इसिगुत्तेहिंतो काकंदएहिंतो वासिम्सगुत्तेहिंतो श्व णं माणवगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं श्मा चत्तारि सादा, तिमि य कुलाई एवमादिऊंति, से किं तं सादा ? साहार्ड एवमादिऊंति, तंजदा-कासविङिया (१) गोयमिजिया (२) वासिध्यिा (३) सोरहिया (४) से तं सादाजे ॥ से किं कुटाई? कुलाई एवमादिङति, तंजहा-“इसिगुति । श्व पढम (१) बीयं इसिदत्तिअं मुणेयवं (२) तश्यं च अनिजयंतं (३) तिमि कुला माणगगणस्स" ॥१॥ थेरेहिंतो सुध्यि-सुप्पडिबुझेहिंतो कोडिय-काकंदएहिंतो वग्घावच्चसगुत्तेहिंतो श्व णं कोडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं श्मा चत्तारि सादा, चत्तारि कुलाइंच एवमादिऊंति । से किं तं सादा ? सादा एवमादिङति, * तंजदा-"नच्चानागरि (१) विजादरी य (२) वरीय (३) मज्जिमिला (४) य।कोडिय १ गुत्त इत्थ (क० को०) गुत्तियत्थ (क० सु०) * Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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