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________________ कल्प० ॥५ ॥ इंदनूई' अणगारे गोयमें गुत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, मछिमए 'अग्गिनूई बारसो. अणगारे गोयमे गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, कणीअसे अणगारे 'वाउनूई' गोयम गुत्तेणं पंच समसयाई वाएइ, थेरे 'अऊवियत्ते' नारदाए गुत्तेणं पंच समणसयाई । वाएइ, थेरे 'अजसुहम्मे' अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, थेरे 'मंमितपुत्ते' वासिहे गुत्तेणं अध्ठाइं समणसयाई वाएइ, थेरे ‘मोरिअपुत्ते' कासवे गुत्तेणं । अध्छाइंसमणसयाइंवाएइ, थेरे ‘अकंपिए' गोयमे गुत्तेणं-थेरे 'अयललाया' हारिआ यणे गुत्तेणं-पत्तेयं एते उम्मिवि थेरा तिमि तिमि समणसयाइं वाएंति, थेरे ‘अजमेरो'-थेरे । पनासे'-एए उम्मिवि थेरा कोमिन्ना गुत्तेणं तिमि तिमि समणसयाई वाएंति।से तेणणं । अजो! एवं वुच्चश्-समणस्स लगव महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुबा ॥५१॥ १ गोयमसगोत्तण Jain Edt For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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