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________________ टुकामां ग्रन्धर्नु SACROMAXOSSAGE उत्तरगुणना प्रतिसेवनथी अनुक्रमे दोषनो संचय थतां थतां काळान्तरे सर्वथा चारित्रनो नाश थाय छे, ए वात समजाववा ४|बीजी पण चार भावपूर्ण उपमाओनो उपयोग करेलो छे. ते आ प्रमाणे नीकथी बगीचामा पाणी जतुं होय त्यारे बगीचो लीलो छम रहे छे. अचानक ते नीकमा एकाद तणखलु पड्युं, वळी क्यारे । क तेमां बीजा काइ कचरानो उमेरो थयो; आ वधता जता कचराने काढी नाखवामा न आवे तो क्यारेक एवो पण प्रसंग आवे, के| जे वखते कचराने लीधे नीकमां वहेतुं पाणी अटके अने बीजो मार्ग ले. परिणामे बगीचो सूकाइ जाय अने तेनी शोभा चाली जाय. तेवी रीते उत्तरगुणमा लागता दोषो न जेवा जणाया छतां तेनुं संशोधन प्रथमथी ज करवामां न आवे तो अनुक्रमे ते दोषो एवा वधी जाय, के जेथी संयमजळनी गति अटके अने चारित्रनो बगीचो सूकाइ सुंदरताहीन थइ जाय. गाईं होय के मंडप, ते उपर एक एक अनाजनो दाणो मूकवामां आवे तो ते दाणाओ अमुक वखतसुधी जरूर ते उपर समाता जाय. पण एरीते दाणा मूकवानो क्रम चालु ज रहे, तो क्यारेक एवो पण समय आवे के ज्यारे मूकाएला छेल्ला दाणाने लीधे ते गाडु के मांडवो भागी जाय; तेवी रीते एक एक उत्तरगुणनो अतिचार सूक्ष्म होइ तेनाथी चारित्रनो नाश तत्काळ न थाय. पण जो उत्तरगुणना अतिचारो अनुक्रमे वधता ज जाय, तो क्यारेक ते अतिचारोना भारथी चारित्ररूप गाडं के मंडप जरूर बेसी ज जाय. कोइ चोक्खा कपडा उपर तेलतुं बिंदु पड्यु, ने ते उपर धूळ लागवाथी तेटलो ज थोडो भाग मेलो थयो. बीजी वार बीजा भागमा डाघो पड्यो, त्रीजी वार त्रीजा भागमां; आ रीते पडता डाघाओने काढी, कपडाने स्वच्छ करी लेवामा न आवे तो क्यारेक For Private & Personal Use Only AAAAACREASECRE inelibrary.org
SR No.600159
Book TitleGurutattva Vinischaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Chaturvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1925
Total Pages540
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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