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सेनप्रश्र
तपोरनमहोदधि ॥ २२॥
मांथी
उपयोगी प्रश्रोत्तरी.
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प्रश्न १२८-बसो ने ओगणत्रीश छह संबंधी तप करवानो शरु को छे, पग पाछळथी छठ करवानी शक्ति न रही होय तो एकांतर उपवास करी शके के नहीं ?
उत्तर--चसो ओगणत्रीश छ? तप उचर्यों होय तेणे छठ ज करवा जोइए, एकांतर उपवास करी शकाय नहीं.
प्रश्न १२९-आश्विन तथा चैत्रना अस्वाध्यायना दिवसोमा जे उपवासो कराय ते वीश स्थानकनी ओळी मां गणी शकाय के नहीं ?
उत्तर-आश्विन तथा चैत्रना अस्वाध्यायना दिवसोमा सातम, आठम तथा नोम ए त्रग दिवसोनां करेला उसास बीश स्थानकनी ओळीमां गणाय नहीं.
प्रश्न २००-चैत्र तथा आश्विनना अस्वाध्यायना दिवसोमां जे तप कर्यो होय ते रोहिगी तपमां अने आलोचनादिकमां गणी शकाय के नहीं ?
उत्तर-सातम, आठम अने नोमने दिवसे करेलो तप आलोचनामा गगाय नहीं. तथा रोहिणी ने तेनी गाज बीजा (एटले के जे तप भूली जवाय तो आखो तप निष्फल थाय, अने फरीयी शरू करवो पडे एवा) तपमा गगी शकाय छ परंतु अन्य तपोमां गणवा नहीं,
( उल्लास चोथो) प्रश्न १५६–विश स्थानक तप, अष्ट कर्मसूदन तप, तथा आंबिल वर्धमान ता, अस्वाध्यायना त्रण दिवसोमा
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