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________________ महाधन तपोरत्नमहोदधि ॥ ७२॥ GIRCRECrew त्रीजी रीत (पांच पर्यंत घन ). प्रथम श्रेणीए अनुक्रमे एक, बे,त्रण, चार अने पांच निरंतर उपवास एकांतर पारणावाळा करवा. बीजी श्रेणीए चे, त्रण, चार, पांच अने एक. त्रीजी श्रेणीए त्रण, चार, पांच, एक अने चे. चोथी श्रेणीए चार, पांच, एक, वे अने त्रण. पांचमी श्रेणीए पांच, एक, चे, त्रण अने चार. छठी श्रेणीए बे, त्रण, चार, पांच अने एक. सातमी श्रेणीए त्रण, चार, पांच, एक. अने बे. आठमी श्रेणीए चार, पांच, एक, बे ने त्रण. नवमी श्रेणीए पांच, एक, बे, त्रण ने चार. दसमी श्रेणीए एक, बे, त्रण, चार ने पांच. अगियारमी श्रेणीए त्रण, चार, पांच, एक ने बे. बारमी श्रेणीए चार, पांच, एक, बे ने त्रण. तेरमी श्रेणीए पांच, एक, बे, प्रण ने चार. चौदमी श्रेणीए एक, बे, त्रण, चार ने पांच. पंदरमी श्रेणीए बे, त्रण, चार, पांच ने एक. सोळमी श्रेणीए चार, पांच, एक, बे ने त्रण. सत्तरमी श्रेणीए पांच, एक, बे, त्रण ने चार. अढारमी श्रेणीए एक, चे, त्रण, चार ने पांच, ओगणीसमी श्रेणीए बे, त्रण, चार, पांच ने एक. वीसमी श्रेणीए त्रण, चार, पांच, एक ने चे. एकवीशमी श्रेणीए पांच, एक, चे, त्रण ने चार. बावीशमी श्रेणीए एक, बे, त्रण, चार, ने पांच. त्रेवीशमी श्रेणीए चे, त्रण, चार, पांच ने एक. चोवीशमी श्रेणीए त्रण, चार, पांच, एक ने बे तथा पचीशमी श्रेणीए चार, पांच, एक, बे ने त्रण. आ रीते करवाथी उपवास दिन ३७५ तथा पारणा दिन १२५ मळी कुल दिन ५.. एटले सोळ मास ने दिन वीशवड आ तप पूर्ण थाय छे. नमो अरिहंताणं पदनी नवकारवाळी २०, साथीया विगेरे १२ करवा. BHILAI७ FA७२। Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600158
Book TitleTaporatna Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktivijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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