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तपोरत्नमहोदधि
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यंत्र स्थापना
बीजी रीत (जैन प्रबोध ) ( चार पर्यंत घन ).
प्रथमनी रीत करतां अधिक तप करवो होये तो आ रीते करवो. प्रथम श्रेणीए एक, बे, त्रण अने चार निरंतर उपवास एकांतर पारणावाळा करवा. बीजी श्रेणीए वे, त्रण, चार अने एक. त्रीजी श्रेणीमां त्रण, चार, एक अने बे. चौथी श्रेणीमा चार, एक, वे अने त्रण. पांचमीमां बे, त्रण, चार अने एक छडीमां त्रण, चार, एक अने वे. सातमीमां चार, एक, वे अनें त्रण.
aani एक, बे, ॠण अने चार, नवमीमां त्रण, चार, एक अने बे. दशमीमां चार, एक, वे अने त्रण. अगियारमीमां एक, बे, व्रण अने चार, बारमीमां बे, त्रण, चार अने एक. तेरमीमां चार, एक, वे अने त्रण. चौदमीमां एक, बे, त्रण अने चार. पंदरमीमां बे, त्रण, चार अने एक तथा सोळमीमां त्रण, चार, एक अने वे, ए प्रमाणे अनुक्रमे निरंतर उपवास एकांतर पारणावाळा करवा. ए रीते उपवास १६० तथा पारणा ६४ मळी २२४ दिवसे पूर्ण थाय छे.
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यंत्र स्थापना.
महाधनः तप.
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