________________ सोहणीयं पत्तस्स 148 पत्तस्स 176 151 20 156 185 157 158 161 वणियाउ ग-धारणा पतुजं° अदुवा गोरवा त्तिणं / अट्ठारस परिमाणस्सो मामंतणि-प पु०। वक्कस्स / वकस्स व मोसं तं उवरिं भ 328] प्पओगो, 162 माली पंतीए असुद्ध 12 ? वणिया उ गधारणा पयुज अहदुवा गौरवा 'त्तणमट्ठारस परिणामस्सो मामणंतण-प 32 वक्कस्स / व मोसं / तं उवरिंभ 328 पओगो जोग्ग 2 ति" पणीयो-प 30 पेयाः // 13 एवं जा 20 ] छिण्ण 21 महधैं म 210 218 163 165 14 पंतीए असुद्धं सोहणीयं 22 "मुक्कपणित मुक्कपणित२३ वावारवयं वावारा वयं 'युमुक्काहिं 'युम्मुक्काहिं 26 भवति / भवति, 29 विना / भवेज विना / 'अप्पबादी' वृद्ध० / भवेज 3 अत्ताणं अचू० 3 मितमाहारयति // 4 विना॥ 4 मितमाहार- अत्ताणं अच० विना // यति // 12 माली 21 विणीया विणी(ण)या 23 समत्ता समत्तो धिविणा विधिणा संथार-से संथारसे अणासता अणासता(तो) सुहुमयत्तेण सुहुम(? सुहमप)यत्तेण 3 अलालुऐ अलोलुए 4 अवेदकारए(?) अवे(?)दकारए अथवा अबेदकारए 10 तसि तेसि 28 हाटी०॥ हाटी। 5 तेण तेणं 168 220 जोग 221 174 ति" पणीयो प° पेयाः एवंजा ] ण छिण्ण महर्षे, म 223 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org