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________________ णिः पंचम तिचु पिंडेसण ज्झयणं ण्णिजयं दसकालियसुतं पढमो | उद्देसो ॥१०९॥ देंतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४२ ॥ १२५. लोणगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा । देतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४३ ॥ १२६. गेरुयगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा । देंतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४४ ॥ १२७. वण्णियगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा । देंतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४५ ॥ १२८. सेडियगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा । देंतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४६ ॥ १२९. सोरट्ठियगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा । देंतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४७ ॥ १३०. पिट्ठगतेण हत्थेण दवीए भायणेण वा । बेतियं पडियायिक्खे ण मे कप्पति तारिसं ॥ ४८ ॥ ॥१०९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600152
Book TitleDasakaliya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherPrakrut Granth Parishad
Publication Year1973
Total Pages552
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size25 MB
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