SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पडिनियत्तए ॥११|| १२. एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया, एगं पायं जले किच्चा एणं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥१२॥ एवं च नो चक्किया, एवं से नो कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥१३|| १४. वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ - 'दावे भंते !' एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥१४॥ १५. वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ - पडिगाहेहि भंते !' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ।।१५।। १६. वासावासं पजोसवियाणं अत्थेगईयाण एवं वुत्तपुव्वं भवइ 'दावे भंते ! पडिगाहेहि भंते !' एवं से कप्पइ दावित्तएवि पडिगाहित्तए वि ॥१६|| १७. वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाणं वां निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोग्गाणं बलियसरीराणं इमाओ नव रसविगईओ अभिक्खणं अभिक्खणं आहारित्तए, तं जहा - खीरं १ दहिं २. नवणीयं ३ सप्पिं ४ तिलं ५ गुडं ६ महुं ७ मजं ८ मंसं ९ ॥१७॥ १८. वासावासं पञ्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ - अट्ठो भंते ! गिलाणस्स?' से य वएजा-अट्ठो, से य पुच्छियव्वो 'केवइएणं अट्ठो?" से य वएना - 'एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स',जं से पमाणं वयइ से य पमाणओ चित्तव्वे, से य विन्नविजा, से य विन्नवेमाणे लभिजा, से य पमाणपत्ते 'होउ अलाहि', इय वत्तव्यं सिया, से किमाहुभंते ! ? एवइएण अट्ठो गिलाणस्स, सिया णं एवं वयंतं परो वइज्जा - 'पडिगाहेहि अञ्जो ! पच्छा तुमं भोक्खसि वा पाहिसि वा' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए ॥१८॥ १९. वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराई कुलाई कडाइं पत्तियाई थिञ्जाई वेसासियाई संमयाई बहुमयाइं अणुमयाई भवंति, तत्थ से नो कप्पइ अदक्खु वइत्तए- 'अत्थि ते आउसो ! इमं वा इमं वा ?' से किमाहु भंते !? सड्डी गिही गिण्हइ वा, तेणियं पि कुजा ॥१९॥ २०. वासावासं पज्जोसवियस्स निचभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एणं गोअरकालं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थाऽऽयरियवेयावच्चेण वा एवं उवज्झायवेयावचेण वा तवस्सिवेयावचेण वा गिलाणवेयावचेण वा खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अव्वंजणजायएण वा ॥२०॥ २१. वासावासं पजोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे-जं से पाओ निक्खम्म पुव्वामेव वियडगं भुच्चा || 300 Gain Education Interational For Private Personel __www.sinelibrary.oru
SR No.600151
Book TitleParyushan na 4 thi 7 ma Divas na Vyakhyano
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitshekharsuri
PublisherAjitshekharvijay
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & Paryushan
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy