________________
आर्य अने
रायपसेण इय सुत्तनो
सार
अनार्यकु
उनी अनेक
दास
॥१४४॥
| दासीओ
ए प्रकारे नामसंस्कार थया बाद समय आवतां बाळकनां मातापिता तेना प्रजेमनक प्रतिवर्धापनक प्रचंक्रमण कर्णवेध संवत्सरमः। तिलेख अने चूलोपनयन वगेरे बधा संस्कारो करशे.
[२१०] तेओ पोताना पुत्रना लालनपालन माटे पांच धात्रीओनी योजना करशेः एक वाळकने धवरावनारी, बीजी शणगारनारी, त्रीजी न्हवरावनारी, चोथी खोळामां लई फरनारी अने पांचमी रमाडनारी.
ए उपरांत त्यां घरकाम माटे रोकवामां आवेली, पोतपोताना देशनो पोषाक पहेरनारी, इंगित चिंतित अने प्रार्थितने समजनारी, ५ |पवी देशविदेशनी बीजी पण अनेक कुशळ दासीओ" द्वारा अने अंतःपुरना रक्षण माटे योजाएला वर्षधरो२२ कंचुकीओ तथा महत्तरो द्वारा ए बाळकनुं घणी सारी रीते लालनपालन थशे; कोई ते वाळकने हाथोहाथ फेरवशे, कोइ तेनी पासे नाचशे, कोइ तेनां गीत गाशे, कोइ तेने बची लेशे, ए प्रकारे अनेक रीते लालित पालित थतो ते बाळक चंपाना छोडनी जेम सुखे सुखे दिनदिन वृद्धि पामशे.
१२१ सूत्रोमा ज्या ज्या दासीओk वर्णन आवे छे त्यां बधे लगभग एक सरखो उल्लेख होय छे. अनार्य देशनां जे नामो सूत्रमा सूचवेलां छे तेज नामो दासीओनां वर्णनमां नोंधेला छे. जेमके-चिलाईया (किरात देशनौ) बयरिया (बाबर देशनी) सिंहली (सिंहल देशनी) आरबी (अरबस्ताननी) पारसी (पारस-पशिया-देशनी) इत्यादि. आ उपरथी एम समजी शकाय छे के आर्योए अनार्यों उपर जय मेळवी तेमने दास तरीके राखबानी प्रथा पाडेली ते आजसुधी पण भुसाई नथी.
१२२ राजाना अंतःपुरनी रक्षा माटे उक्त दासीओ उपरांत केटलाक वर्षधरो अने कंचुकीओ पण राखवामां आवता; जेओ मूळथी नपुंसक हता वा जेओने अंतःपुरनी रक्षा माटे खसी करवामां आवता तेओ वर्षधर कहेवाता अने जेओ खीनी पेठे कांचळी-कापडु-पहेरीने रहेता तेओ कंचुकी कहेवाता. आचार्य हेमचन्द्र कहे छे के-"घण्ढे वर्षवरः” अभिधान०कांड-३ श्लो० ३९२. अर्थात् “पंढ एटले वर्षवर.” | १५ कोशमां वर्षवर शब्द छे अने सूत्रोमां वर्षधर शब्द छे, छतां ए बन्ने शब्दोनो भाव तो एक सरखो छे.
Join Educat
i
onal
For Private & Personal use only
jainelibrary.org