SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 522
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायपसेण इय सुत्तनो सार जीवनी ॥१३४॥ बतावी शकुं? मोटा हाथी पपसी! खरी वात तो एम छे के, जे मनुष्य रागद्वेषथी पर छे, ते धर्मास्तिकाय अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय अशरीरोजीव परमाणुपुद्गल शब्द गन्ध वायु प आठ पदार्थाने सारी रीते जाणी शके छे-समजी शके छे अने 'आ जिन थशे के नहि' 'आ बधां अने नानादुःखोनो नाश करशे के नहि ? ए बे हकीकतोने पण तेज जाणी शके छे. अर्थात् वीतराग मनुष्य प दस बाबतोने सारी रीते जाणी मां नाना शके छे; माटे हे पपसी ! तुं पम समज के जीव अने शरीर जुदां जुदां छे पण एक नथी. कंथवाना [१८७] परसी बोल्योः समानता हे भन्ते ! हाथीनो अने कंथवानो जीव एक सरखो छ ? वगेरे विशे हे पपसी! हा, ते बनना जोव एक सरखा छे. चर्चा हे भंते ! हाथी करतां तो कंथयो अल्प कर्मवाळो अल्प क्रियावाळो अने अल्प आम्रववाळो छे तथा कथवाना आहार, निहार, श्वासोच्छ्वास, बळ, वीर्य अने द्युति वगेरे पण अल्प छे, अने पथी उलटुं, ए वधु कंथवा करतां हाथीमां वधारे छे; आम हाथीमा १० अने कंथवामां आसमान जमीन जेटलो चोक्खो मेद जणाय छे, छतांय हे भंते! तमे पम कहो छो के हाथीनो अने कंथवानो जीव एक सरखो छ? केशी कुमार बोल्या: हे पपसी! तुं पम धार के घुम्मटदार अने शिखराकार एक मोटी ओरडी होय, तेमां कोई पुरुष दीयो लइने पेसे अने पछी ए ते ओरडीनां बयां बारी बारणां बराबर बन्ध करी दे अने एनां बधां छिद्रो छांदी दे, तो ए दीपकनो प्रकाश, ए आखोए ओरडीने |१२| अजवाळशे पण बहारना भागने नहि अजवाळे; केम खरुंने ? ए रीते, ए दीपक उपर कोई मोटो थाळ ढांके अथवा मोटुं डालुं ढांके, तो ते दीपकनो प्रकाश ते ते ढांकणना अन्दरना भागने प्रकाशशे पण बहार नहि प्रकाशे, अर्थात् वधे दीपक तो एकज छे पण ते For Private Personal Use Only wjainelibrary.org Jain Educator
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy