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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार [१५२] आम केटलाक दिवसो चीत्या पछी कोइ एक दिवसे राजा जितशत्रुए एक महामूल्य भेटणुं तैयार कराव्यु. पछी चित्त सेयविया सारथिने बोलावोने राजाप का के-हे चित्त !] सेयविया नगरीए जा अने हुं आ जे नजराणु आपुंछंने राजा पयेसीने नजर | | तरफ आकर तथा मारी वती पमने विनंती करजे के तेमणे जे मारा योग्य संदेशो कहो मोकलाब्यो छे ते मारे मन साचो अने असंदिग्ध ववा माटे छे. आम सूचना आपीने राजाए विशेष आदरपूर्वक चित्त सारथिने विदाय आपी. चित्ते केशि____ [१५३] चित्त सारथि पण ए भेटणु लई पोताने ऊतारे आवी, जवानी तैयारी करवा लाग्यो. जतां पहेला ते नाही धोई शुद्ध वस्त्रो ५ श्रमणने पहेरी केशी कुमारश्रमण पासे गयो. करेली श्रमणे सारथिने धमोपदेश कयों. धर्मोपदेश सांभळी सारथि प्रसन्न थयो. ऊठतां तेणे श्रमणने विनंती करी के-हे भगवन् ! विनंती राजा जितशनी विदाय लई आजे हुँ सेयविया नगरी भणी रवाना था छु, तो हे भगवन् ! तमे कोई वार सेयविया नगरी जरूर |पएसिनृप पधारजो. सेयविया नगरी प्रासादिक छे, दर्शनीय छे अने बधी रीते रमणीय छ, माटे जरूर तमे त्यां पधारवा कृपा करशो. । अधार्मिक चित्त सारथिना आ कथननो केशी श्रमणे आदर न कयों, ते तरफ कोई ध्यान न आप्यु, पण मात्र मौन ज धरी राख्यु. छतां १० चित्त सारथिए तो बीजीवार अने त्रीजीवार पण सेयविया नगरी आववानो आग्रह कर्या को. विनंतीनो ज्यारे बे-त्रणवार सारथिए आग्रहभरी विनंती करी त्यारे केशी कुमारश्रमण सारथि प्रति बोल्या-के हे चित्त ! जेम कोई पक | अस्वीकार लीलोछम ठंडी छायावाळो मोटो वनखंड होय, तो हे चित्त ! ते वनखंड, मनुष्य पशु पक्षी अने सपों वगेरेने रहेवालायक खरो? चित्त बोल्यो-हा जरूर-प रहेवालायक खरो. ___ श्रमण बोल्या-पण हे चित्त ! ए वनखंडमां अनेक प्राणीओनुं लोही पीनारा भीलुगा नामना पापशकुनो रहेता होय तो ए वन- १५/॥१०७॥ खंड शु रहेवालायक खरो ? चित्त बोल्यो-पम होय तो ए सारो वनखंड पण उपसर्ग देनारो होवाथी रहेवालायक न गणाय. श्रमण वोल्या-पज प्रमाणे, हे चित्त ! तारी सेयविया नगरी पण भले घणी सारी होय, छतां तेनो अधार्मिक राजा पयेसी Jain Educat inteletional For Private Personel Use Only Www.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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