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________________ राय पसेणइय सुचन सार ॥४६॥ भूमिभागने सुंदरमां सुंदर रीते सजाववानी प्रवृत्तिमां लागी गया. ते दिव्य यान- विमानन अंदरनो भूमिभाग, ते देवोप सर्व प्रकारे सम बनाव्यो हतो. जेम मुरजनो उपरनो भाग, मृदंगनो उपरनो भाग, सरोवरनो उपरतळनो भाग, हाथनी हथेळीनो भाग, चंद्रना मंडळनो भाग, सूर्यना मंडळनो भाग, आरीसानो उपरनो भाग जेवो सर्व प्रकारे सरखो होय छे-क्यांय ऊंचो नीचो नथी होतो, ए प्रकारे ते विमाननी अंदरनो भूभाग सर्व प्रकारे सम करेलो हतो. वळी, जेम घेटानुं, बळदनुं, वराहनुं, सिंहनुं, वाघनुं, हरणनुं, बकरानुं, अने दीपडानुं चामडुं सर्व बाजुओथी शंकु शंकु जेवडा खीलाओ ५ भरावी खेचतां जेवुं एकसरखं थई जाय छे तेवो ते विमाननो अंदरनो भूभाग सम बनावेलो हतो. ते भूभागमां, काळा, नीला, राता, पीळा अने धोळा एवा अनेक मणिओ जडेला हता. तेमांना केटलाक आवर्तवाळा, प्रत्यावर्तवाळा, श्रेणि अने प्रश्रेणिवाळा हता, केटलाक वळी स्वस्तिक जेवा, पुष्यमाणव जेवा, शरावसंपुट जेवा हता. ते मणिओमां बीजा केटलाक माछलानां इंडां जेवा अने मगरनां इंडां जेवा जणाता हता. केटलाक मणिओमां फूलवेल, कमळपत्र, समुद्रतरंग, वासंतीलता, कमळवेल वगेरे जेवां घणां बीजां सुंदर चित्रो कोरेलां होय एम देखातुं हतुं ते भूभागमां जडेला बधा मणिओ भारे चकचकाटवाळा, अनेक किरणोवाळा, उत्कट १० प्रभावाळा अने तेजना अंबारथी भरेला हता. [३४] प मणिओमां जे काळा मणि हता ते मेघ जेवा, आंजण जेवा, दीवानी मेश जेवा, काजळ जेवा, पाडाना शिंगडा जेवा, पाडाना शिंगडामांथी बनावेली गोळी जेवा, भमरा जेवा, भमरानी हार जेवा, भमरानी पांखना सारभाग जेवा, जांबूडा जेवा, काग| डाना नाना बच्चा जेवा, कोयल जेवा, हाथीना बच्चा जेवा, काळा साप जेवा, काळा बकुल जेवा, शरद ऋतुना वादळा जेवा, काळा अशोक जेवा, काळी कणेर जेवा अने काळा बपोरीया जेवा काळा हता. Jain Education intentional प्र० - शुं ते काळा मणिओ, ए आपेली उपमाओ जेवा ज खरेखर काळा हता ? उ०- अर्थ समर्थ नथी अर्थात् हे आयुष्मन् श्रमण ! ए तो मात्र उपमाओ छे; पण ते काळा मणिओ तो ते बधी उपमाओ For Private & Personal Use Only १५ w.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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