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________________ रायपसेणइयत्त कथानायक परसीमां आ दुर्गुणो न होवाथी ज ते विदेह स्थितिने पामे छे, प आपणे ध्यानमा राखवा जेतुं छे. समजुं हुं त्यां सुधी आ सूत्रनो स्वाध्याय करनारे राजा परसीना चित्त शुद्धीकरणने ज ध्यानमा राखवानुं छे. ए सिवाय धर्मने नामे कषाय वत्रे प रीते आ सूत्रनो उपयोग करवो घटित लागतो नथी. [ एक विलक्षण समानता ] बौद्ध परंपरा अने जैनपरंपरा प बधेनुं एक नाम श्रमणपरंपरा छे. ते बन्नेमां अनेक प्रकारनी समानताओ रहेली छे. शब्दरचनानी, भाव संकलनानी, श्रमणना आचारबंधारणनी वा केटलीक खास खास शब्दोनी समानताओ उपरांत आखेआखां आख्यानोनी समानता पण मळी आवे छे. जे आख्यान आ परसीनुं आख्यान वांचकोनी दृष्टिसमक्ष छे ते आखुं आख्यान जेवुं ने तेवुं ज बौद्ध परंपराना 'दीघनिकाय ' नामना सुत्तपिटक ग्रंथमां पायासिसुत्तना मथाळा नीचे नोंघेलुं छे. पसीना आ आख्यानमां मुख्य नायक पपसी हे त्यारे बौद्ध आख्यानमां नायक पायासी छे. उपदेष्टा त्यां कुमार काश्यप छे त्यारे अहीं केशीकुमार छे बन्ने उपदेश पांचसो भिक्षुओना अधिष्ठाता के अने उपदेशनुं स्थान बन्ने स्थळे सेतविया - सेतव्या नगरी है. कल्याणमित्र अहीं चित्त छे त्यारे त्यां खत्त छे. प्रष्टव्य स्थानो-परलोक नथी, कोई औपपातिक सत्ता नथी अने सुकृत दुष्कृतरूप कर्मोंनुं फल नथी-ए बधां बन्नेमां समान छे. आ प्रष्टव्यो संबंधे जे जे प्रतिवचनो अने तेमने लगती युक्तिप्रयुक्तिओ आवी छे ते बधीय बन्नेमां लगभग समान है. पेला कंबोज देशना घोडानी हकीकत जे अहींना आख्यानमां छे ते पायासीनी कथामां नथी जणाती अने पपसीनुं जे भावी वृत्तांत आ आख्यानमां पूर्वमां नोंघेलुं छे ते पायासीना आख्यानमां क्रम प्रमाणे छेवटे जणावेलुं छे. तदुपरांत सूर्याभदेवे करेली नाट्य रचना अने बीजी विधिओ ते पायासीना आख्यानमांथी नीकळी गई छे. Jain Education tertional For Private & Personal Use Only प्रवेशक ॥२१॥ w.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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