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________________ सम्यक स० टी० ॥२५॥ जलिरंगारे, खाविजंती छुहकिलन्ता ॥ २७ ॥ राइयपमाणखण्डे, काऊणं केवि कडुरडंता वि । कुम्भीपाए पावा, पचन्ति य सागपत्तं व ॥ २८ ॥ अइउण्हतावियासुं, केवि तलिजंति पप्पडुव्व फुडं। चूरिजंति य केई, घडुब मुग्गरपहारेहिं, ॥ २९ ॥ केवि तवियदवियहुयतंबतउयसमनीरपूरभरियाए । वेयरणीए दड्डत्ति-पुक्करन्ता खिविजन्ति ॥ ३०॥ केई तीए पुलिणे, वसहुच महाभरं वहिज्जन्ता । पलयाणलपजलिए, भटे चणयव फुट्टन्ति ॥ ३१ ॥ छायत्थिणो य केई, असिवणपत्ता समीरखित्तेहिं । सव्वंगं छिजन्ती, पहरणसरिसेहिं पत्तेहिं ॥३२॥ इय नेरइयसरूवं, सुदारुणं पासिऊण पडिबुद्धा । सुरहिव वग्यतत्था, सइव परपुरिसकरपुट्ठा ॥३३॥ हंसिब सेणन(त)ट्ठा, मूसिव बिडालदसणपलाणा । सा पुप्फचूलजाया, जाया भयवेविरसरीरा ॥३४॥ जुगलं। अप्पाणं नरयगयं व, पिक्खमाणा मणमि संबुद्धा । सबं सुविणसरूवं, सा साहइ निययदइयस्स ॥ ३५॥ सोविहु तीए दुसुविणउवसमणत्थं पभूयविभवेहिं । सन्तियनिउणजणेहिं, कारवइ सन्तियं कम्मं ॥३६॥ पुवं व पुप्फचूला, सुयापबोहाय पुप्फवइतियसो। वारं वारं नरए, दंसइ साविहु भणइ पइणो ॥३७॥ तो सो गोसे नियपिययमाइ सहिओ सहंगओ सचे। दंसणिणो| आणाविय, नरयसरूवाइ पुच्छेइ ॥३८॥ तेविहु भणन्ति नरवर ! दारिदं रोगसोगसन्तावा । परवसभावो गुत्तीइ, ठाणमिय नरयचिण्हाई॥ ३९ ॥ सुमिणविसंवायाओ, तन्वयणमसच्चयं वियाणित्ता । मोडेऊणं वयणं, ते लहु देवी विस-1 जेई॥४०॥रण्णा अण्णियपुत्तायरिओ हक्कारिऊण अह पुट्ठो। जहठियनरयसरूवं, तेसिं पुरओ परूवेइ ॥४१॥ देवी SECRECRUCINOSTRACK ॥२५॥ Hamn Education For Privale & Personal Use Only mal jainelibrary.org i
SR No.600143
Book TitleSamykatva Saptati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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