SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 461
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education वइ हा किं वच्छे ! अप्पा खित्तो दुहे तुमए ? ॥ ९२ ॥ कहमवि तुज्झ विवाहं कारेमि इमेण राइणा नेव । अहवा हयदिवकयं कज्जं कयमेव दीसेइ ॥ ९३ ॥ पडिसेहिऊण पिउणो वयणं निम्मिय तवाण उज्जमणं । विहिपुत्रं कार - वेई पूयंती संघजिणचलणे ॥ ९४ ॥ अइसयविसन्नहिययं तायं वारितु कहइ करणिजं । सयलकलाकुलनिलयं पन्नासं |देसु महकन्ना ॥ ९५ ॥ एगं नियगेहाओ मम गेहं जाव कारसु सुरंगं । वीयं दुवारवासिणिदेवीए वासगेहाओ ॥ ९६ ॥ मह गेहस्स य हिट्ठा सुरंगमज्झमि जिणहरं एगं । कारावसु निचितो तत्तो होऊण चिट्ठेसु ॥९७॥ देवीए इव तीए चिंतियअत्थस्स पूरणेण धुवं । कप्पहुमस्स लीला इह कलिया चंदणेणावि ॥ ९८ ॥ तो गेहाओ गंतुं सुरंगमग्गेण जणयभवणंमि । अज्झावर पन्नासं कन्नाओ सयलवि कलाओ ।। ९९ ।। सिक्खविया संगीयं सरलक्खणगामतालसुविसालं । वीणावायणआउज्जविजयं सघमणवजं ॥ १०० ॥ तंमि य मणिगणनिम्मियपासाए कंतिनासियतमिस्से । पायाले इव न दिवसनिसाइ लक्खिज्जइ विसेसो ॥ १०१ ॥ इंदाणीव निसीयइ सययं सिंहासणंमि सा बाला । समसिंगारप राहिं कन्नाहिं ताहि सोहिल्ला ॥ १०२ ॥ तीए आएसेणं समहत्थं तासु कावि वायंति । आणंदजणयनंदीनिनाय - | पडिसद्द्यिदियंतं ॥ १०३ ॥ कावि हु वीणं कावि हु मुयंगयं कावि वेणुआउज्जे । सज्जंति कावि तालं धरंति नचंति चन्नाओ ॥ १०४ ॥ राया निसीहसमए तं सुणिऊणं मणमि झाएइ । पायाले गयणयले महीयले वा किमु गिरिंमि ? ॥ १०५ ॥ संगीयमिमं सरचारभासुरं दुलहं सुराणंपि । कस्सवि धन्नस्स पुरो पयट्टए सवणसुहजणयं ॥ १०६ ॥ Donal For Private & Personal Use Only ainelibrary.org
SR No.600143
Book TitleSamykatva Saptati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1916
Total Pages506
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy