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भारिया, ताणं च परमसुहेण भोगे सुंजंताणं कमेण जाया एगा दारिया, तीसे 'विजुप्पह' त्ति नाम कथं अम्मापियरेहिं - जीसे लोलविलोयणाण पुरओ नीलुप्पलो किंकरो, पुन्नो रत्तिवई मुहस्स वहई निम्मललीलं सया । नासावंसपुरो सुअस अपडू चंचूपुडो निजरा, रूवं पिक्खिय अच्छरासुवि धुवं जायंति ढिल्लायरा ॥ १ ॥ तओ कमेण तीसे अट्ठवरिसदेसिया दिवसा रोगार्यकाभिभूया माया कालधम्ममुवगया । तत्तो सा सयलमवि घरवावारं करेइ । उडिऊण पभायसमए चिहियगोदोहा कयघरसोहा गोचारणत्थं वाहिं गंतूण मज्झण्हे उण गोदोहाइ निम्मिय जणयस्स देवपूयाभोयणाई संपाडिऊण सयं च भुत्तूण पुणरवि गोणीओ चारिऊण सञ्झाए घरमागंतूण कयपाओसिव्यकिच्चा खणमित्तं निद्दासुहं सा अणुहवइ । एवं पइदिणं कुणमाणी घरकम्मेहिं कयत्थिया समाणी जणयमन्नया भाइ - ताय ! अहं घरकम्मुणा अचंतं दूमिया, ता पसिय घरणिसंग्रहं कुणह । इय तीइ वयणं सोहणं मन्त्रमाणे ण तेण एगा माहणी विसद्दुमसारणी सगहिणी कया । साऽवि सायसीला आलसुया कुडिला तहेव घरवावारं तीए निवेसिय सयं ण्हाणविलेवणभूसणभोयणाइभोगेसु वावडा तणमवि मोडिऊण न दुहा करेइ । तओ सा विजुप्पहाविज्जुव पजलती चिंतेइ-अहो ! मए जं सुहनिमित्तं जणयाओ कारियं तं निरउच दुहहेउयं जायं, ता न छुट्टिई अवेइयस्स दुट्टकम्मुणो, अवरो उण निमित्तमित्तमेव होई, जओ 'सच्चो पुत्रकयाणं, कम्माणं पावए फलविवागं । अवराहेसु गुणेसु य, निमित्तमित्तं परो होइ ॥ १ ॥ यस्माच्च येन च यथा च यदा च यच्च, यावच्च यत्र च शुभाशुभमा
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