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श्री भगवती सूत्र
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परिमंडलं जहणं, भणियं कडजुम्मवट्टियं लोए । तिरियायय सेढीणं, संखेज्ज परसिआ कि णु ९ ॥ ७॥ दो दो दिसासु एक्केक्कओय, विदिसासु एस कडजुम्मे । पढमपरिमंडलाओ, बुट्टी किर जाव लोगंतो ||८|| परिहारस्तु
अट्ठसया पसज्ज, एवं लोगस्स न परिमंडलया । बट्टालेहेण तओ, बुट्टी कडजुम्मि तत्तो ॥ ९ ॥
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जति लोग तिरियसेढी, संखेज्जपएसिया दिध्वंति । किमलोग तिरियसेढी, संखपएसा १ ण सिद्धांतो ॥ १०॥ दवढा जई सच्या, कडजुम्मातो कहा । अकोगतिरियसेढीओ मणिया कडदावरपएसि ॥ ११ ॥
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