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________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ८ प्रस्तावः ॥ ३३७ ॥ Jain Education एयं सोचा मुणिण संजमकज्जंमि तह पयट्टेह । तक्कालसमुत्थविडंबणाउ पावह जहा नेव ॥ १४ ॥ एवं जिणेण सिट्ठे सविसेसं संजमुजुया जाया । समणजणा अह भयवं मिहिलानयरीड निक्खतो ॥ १५ ॥ पत्तो पोयणपुरं, तहिं च संखवीर सिवभद्दपमुहा नरिंदा दिक्खा गाहिया एवं च जएकनाहो महावीरो गोयमसामिप्पमुहाणं चउदसण्हं समणसहस्साणं अजचंदणाईणं छत्तीसाइ अज्जियासहस्साणं आणंदसंखपमुह एगूणसद्विसहस्सस महियस्स सावयलक्खस्स सुलसारेवईपमुहाणं तिन्हं सावियलक्खाणं अट्ठारससहस्सहिगाणं तिन्हं चउइसपुच्चिसयाणं अट्ठण्हं अणुत्तरोववाइयसयाणं मग्गदेसगत्तं गुरुत्तं सामित्तं उच्चहंतो नाणकिरणेहिं तमनियरमवहरंतो चिरं विहरिओ वसुंधराए । अह अग्गिभूइवाउभूईवियत्तमंडियमोरियपुत्ताकंवियायलभाइमेयज्जपहासनामेसु नवसु गणहरेसु सिद्धिं गएसु केत्तियंपि कालं भवसत्तपडिवोहणं काऊण अप्पणो मोक्खगमणकालं पञ्चासन्नमुवलक्खिऊण भयवं वद्धमाणो गओ असेसदेसलद्ध पसिद्धीए पावापुरीए, तहिं च नियभुयनिद्दलिय पडिवक्खो हत्थिपालो नाम नरिंदो, तस्स अणेगखं भसयसम हिट्टियाए विसिट्ठविचित्तचित्तकम्ममणहराए पवरसालभंजियाभिरामदुवारतोरणाए सङ्घसत्तो वरोहरहियाए महइमहालियाए सुंकसालाए नरिंदाणुन्नापुरस्सरं ठिओ चरिमवासारत्तंमि जयगुरू । कमेण पत्तंमि जय| गुरु कत्तियस्स अमावसादिणे अप्पणी उवरि केवलालोयविग्धकारयं सिणेहं कुणंतं गोयमं भणइ-भो देवाणुप्पिय ! एत्थ पच्चासन्नगामे गंतूण देवसम्माभिहाणं माहणं पडिवोहेसुत्ति, जं सामी आदिसइत्ति जंपिऊण गओ गोयमो, For Private & Personal Use Only दुष्पमाखरूपं वीरवर्षत्संख्या. ॥ ३३७ ॥ jainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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