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________________ श्री गुणचंद महावीरच ० ८ प्रस्तावः ॥ ३०१ ॥ कत्थ अहं उववजिस्सामि?, भयवया भणियं-वसंतपुरे नयरे वसुदेवस्स वणिणो वसुमित्ताए भारियाए गब्र्भमि पुत्तो तुमे पाउ भविस्ससि, एवं च निसामिऊण जहागयं पडिनियत्तो विज्जुप्पभो, अन्नंमि य दिवसे सिद्धपुत्तरूवं विउचिऊण अवयरिओ वसुदेवगिहे, साइसओत्ति कलिऊण अम्भुडिओ वसुमित्ताए, पुट्ठो य-भो महाभाग ! जाणासि तुमं मम पुत्तो भविस्सइ न वत्ति ?, देवेण भणियं - जइ तं पवयंतं न वारेसि अहं तहा करेमि जहा ते पुत्तो होइत्ति, पडिस्सुयमणाए, अह कवडेण मंडलग्गपूयापुरस्सरं महया वित्थरेण देवयापूयं काऊण देवो भणइ - भद्दे ! अमुर्गमि दियहे विसिसुमिणसूइओ पुत्तो ते गन्भे आयाही, तीए भणियं तुम्ह पसाएण एवं होउ, देवो अद्दंसणमुवगओ, अवरंभि य वासरे सो चविऊण उप्पण्णो तीसे गन्भे, जाओ कालकमेण, कयं वद्धावणयं, पट्टियं से वसुदत्तोत्ति नामं, उचियसमए य गाहिओ कलाकोसलं, नीओ य एगया साहूण समीत्रे, कहिओ य तेहिं दुबालसवयसणाहो सावगधम्मो, पुचभवजिणवयणाणुरागरत्तत्तणेण य परिणओ एयस्स, तओ पडिवण्णो भावसारं तेण, गहियाणि य दुवालसचि वयाई, परिपालेइ य निरइयाराई, अन्नया य सविसेसजायधम्मवासणाविसेसेण तेण पुच्छिया साहुणो मुणिधम्मं, कहिओ य तेहिं । कहं चिय ? - Jain Educationtional पंच उ महचयाई गुत्तीओ तिन्नि पंच समिईओ । सीलिंगसहस्साई अट्ठारस निरइयाराई ॥ १ ॥ तापमुह परीसहा य बावीस वाढदुधिसहा । विणओ य चउभेओ अणिययवासो य मुत्ती य ॥ २ ॥ For Private & Personal Use Only तृतीयेऽणुव्रते वसुदत्तकथा. ॥ ३०१ ॥ ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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