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________________ राया, खुभिया य सहा, कहं ? अणवरयविर्णितुद्दामसेयबिंदुब्भडं मुहं सुहडो । परिमुसइ कोऽवि कोवुग्गमेण अहियं दुरालोयं ॥ १॥ • नवकुवलयमालाविन्भमंमि निम्मलपहमि करवाले । निवडइ य भमररिंछोलिसच्छहा कस्सविय दिट्ठी ॥२॥ परपक्खक्खोभकरिं कोवसिहाडंबरेण भयजणणि । पचक्खं नियसत्तिं व कोऽवि सत्तिं करे धरइ ॥३॥ कस्सवि निडालवद्धं रेहुक्कडभिउडिभंगदुप्पेच्छं । खयसमयसमुग्गयराहुमंडलं सहइ गयणं व ॥ ४ ॥ केणावि कुलिसनिडुरमुट्ठिपहारेण ताडिया धरणी। अविणीयधारणेणं कयावराहत्व कंपेइ ॥५॥ संभावियरणरसनिस्सरंतरोमंचपीवरकरस्स । चिरपरिहियाई कस्सवि विहडंति य कणयकडयाइं ॥६॥ कोऽविहु मच्छरसंभारतरलियं वयणभासणसयोहं । कद्वेण दसणदह्रोहसंपुडेणं खलइ जीहं ॥७॥ इय जाया कोवभरलसंतदेहाण विविहकिरियाओ। संगामसंगमुकंठियाण सुहडाण तवेलं ॥८॥ | एत्यंतरे भणियं आसग्गीवेण-अरे उपेक्खियाणं दुरायाराणं एस चिय गई, को तस्स दोसो ?, अन्नहानियधूयापरिणयणावराहकालेऽवि जइ तमहं निगिण्हतो ता किं एवं पसरं लहंतो, तहा-जो नियधूयं कामेइ सो नियसामिपि दुहइ किमजुत्तं ? । किं वा एएण?, इयाणिपि विणिवाएमि एवं महापावकारिणं, ता रे ताडेह पत्थाणविजयढकं, पगुणीकरावेह कुंजरसाहणं, संजत्तावेह तुरयघटाई, जोत्तावेह संदणगणं, वाहरावेह समग्गं| S For Private Personal Use Only Jain Educa ainelibrary.org ional
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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