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प्रशमरतिः हारि. वृत्तिः ॥ ३३ ॥
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* उ.व. ५७ [?]; निधन सं० १९४९ मार्गशीर्ष सुरत. साकरचंदे छेल्ला छ सात वर्ष सुरतमां निरृत्तिमय जीवनमां गाळी चित्त अने पुद्गल बनेने उत्तमरीते धर्ममार्गे दोरी व्रत-तप-जप- ध्यान, गुरु-सेवा अने साधर्मिकभक्तिमां तल्लीनपणे व्यतीत कर्या हता. कद्देवाय छे के चातुर्मासमां गुरुवंदनार्थं सुरत आवतां साधर्मिक - जनोनी भक्तिमां नित्यना एक मण दूधनो वापराश शेठ साकरचंदने त्यां हतो. एज प्रमाणे भोजन वगेरेनो प्रबंध पण हंमेशनो हतो.
+ शेठ देवचंदना वीलना एक ट्रस्टी भूतपूर्व आ फंडना ट्रस्टी नीकळी गया सने १९३७. हाल अवैतनिक मन्त्री जेमणे अद्यापि निःस्वार्थे लगभग पंदरेक धार्मिक अने सर्वोपयोगी खाताओमां संचालक तरीके घणां वर्षोंसूधी काम कर्तुं छे. लगभग त्रीश वर्ष आ फंडनी अने लगभग वीश वर्ष श्री आगमोदय समितिनी एकधारी सेवा बजावी १०० उपरांतना ग्रंथो प्रसिद्ध कराव्या छे तेमज आनंदकाव्यमहोदधिना मौक्तिकोनुं संपादन अने संशोधन कयुं छे. 'ईडरगढ़' उपरना श्रीसिद्धाचलजीनी स्थापनारूप अतिप्राचीन श्रीशांतिनाथजी जिनचैत्य- प्रासादे मूलनायकजीना पबासन हेठे भगवती देवी श्री ' निर्वाणी' देवीनी मूर्ति खपर श्रेयार्थे अधिष्ठाता तरीके भरावी स्थापित करावी छे. देवीश्री उपरनो लेख आमुजब छे:-- “विक्रम सं० १९८१ फाल्गुन शुक्ल तृतीयायां बुधे सुरत वास्तव्येन झवेरी जीवणचंद्र साकरचंद्रेण कारापिता श्रीविजयकमलसूरिभिः प्रतिष्ठिता च मूर्त्तिरियं निर्वाणीदेव्याः” ( श्रीआत्मारामजी - विजयानंदसूरीश्वर पट्टधर श्रीविजय कमलसूरिए के जेओश्रीना नामश्री सुरतमां वि० सं० १९८१ ना वर्षमां "प्राचीन हस्तलिखित जैन- पुस्तकोद्धार फंड "नामा संस्था स्थापवामां आवी छे, तेमणे ए मूर्तिनी सुरतमां प्राणप्रतिष्ठा करी हती. )
1 शेठ देवचंदे मृत्युपत्रद्वारा दत्तक वारस तरीके लीधा. जेथी गुलाबचंदनी विगत शेठ देवचंदना वंशज तरीके देवचंदमां आपी है. ॥ शरुआतथी आ फंडना चालु ट्रस्टी.
(वि) विद्यमान = हयात.
S राष्ट्रभाषा कोविद, तेमज जूदी जूदी अन्य भाषाओना अभ्यासी राष्ट्रय पत्रिकाअंगे कारागृहवास पामेला.
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दे.ला. कु. वंशवेल
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